आज सोचा क्या लिखे ..क्या लिखे आखिर !!!!
देखते है ,क्या लिखा जा सकता है ?
कुछ लिखा जाए !
पढ़ने या पढाने के लिए नहीं ,
जमाने के लिए लिखा जाए .
बहुत हो चुका सूरज को सूर्य
और दिनकर कहने का राग ,
करीने के लिए लिखा जाए .
कुछ लिखा जाए !
दिवार उठाने के लिए नहीं ,
कुछ लिखा जाए !
परदे डालने के लिए नहीं ,
उठाने के लिए लिखा जाए.
--रतनजीत सिंह —
देखते है ,क्या लिखा जा सकता है ?
कुछ लिखा जाए !
पढ़ने या पढाने के लिए नहीं ,
जमाने के लिए लिखा जाए .
बहुत हो चुका सूरज को सूर्य
और दिनकर कहने का राग ,
करीने के लिए लिखा जाए .
कुछ लिखा जाए !
दिवार उठाने के लिए नहीं ,
गिराने के लिए लिखा जाए.
मौत की बहस नहीं थमेगी
दवात में अश्क भरकर रोज,
जिंदगी के लिए लिखा जाए .
मौत की बहस नहीं थमेगी
दवात में अश्क भरकर रोज,
जिंदगी के लिए लिखा जाए .
कुछ लिखा जाए !
परदे डालने के लिए नहीं ,
उठाने के लिए लिखा जाए.
--रतनजीत सिंह —
No comments:
Post a Comment